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**बाल कहानी: "परिवार की अनमोल दुनिया"

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**बाल कहानी: "परिवार की अनमोल दुनिया"** :नवीन सिंह राणा  एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक प्यारा सा खरगोश परिवार रहता था। मम्मी खरगोश, पापा खरगोश, और उनके तीन छोटे-छोटे खरगोश बच्चे—रानी, मोती और बबलू—सभी मिलकर खुशहाल जीवन जीते थे। एक दिन रानी ने अपनी मम्मी से पूछा, "मम्मी, परिवार क्या होता है?" मम्मी खरगोश मुस्कराईं और बोलीं, "परिवार वो होता है जहाँ प्यार, अपनापन, और एक-दूसरे की देखभाल होती है। यह वो जगह है जहाँ हम एक-दूसरे की मदद करते हैं, खुशियाँ बाँटते हैं, और साथ में हर मुश्किल का सामना करते हैं।" रानी ने उत्सुकता से पूछा, "पर मम्मी, क्या सभी परिवार एक जैसे होते हैं?" मम्मी खरगोश ने जवाब दिया, "नहीं बेटा, परिवारों के अलग-अलग भेद होते हैं।" "कुछ परिवार छोटे होते हैं, जैसे हमारा। इसे 'न्यूक्लियर परिवार' कहते हैं, जिसमें मम्मी-पापा और उनके बच्चे होते हैं। कुछ परिवार बड़े होते हैं, जिनमें दादा-दादी, चाचा-चाची, और उनके बच्चे भी रहते हैं। इसे 'संयुक्त परिवार' कहते हैं।" "फिर, कुछ परिवारों...

**"लाभ और हानि: राघव की गणितीय समझ की कहानी"**

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** "लाभ और हानि: राघव की गणितीय समझ की कहानी"** :नवीन सिंह राणा  एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में राघव नाम का एक बुद्धिमान बालक रहता था। राघव को गणित से बहुत लगाव था। वह हर चीज़ में गणित की खोज करता और गाँव के लोगों की मदद करता। लेकिन एक दिन, उसके स्कूल में नए गणित शिक्षक आए। उन्होंने बच्चों को लाभ और हानि की अवधारणा सिखाने का निर्णय लिया। राघव बहुत उत्साहित था, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आया कि यह गणित से कैसे जुड़ा है। शिक्षक ने कक्षा में सभी बच्चों को एक कहानी सुनाई: "एक गाँव में दो दोस्त थे, सूरज और चाँद। दोनों ने मिलकर आम का एक बगीचा लगाया। सूरज ने बगीचे में 100 रुपये का निवेश किया, और चाँद ने भी 100 रुपये का निवेश किया। कुछ महीनों बाद, बगीचे में आम लगने लगे, और उन्होंने आम बेचकर 300 रुपये कमाए। अब सवाल यह था कि उन्होंने कितना लाभ कमाया और कैसे बाँटें?" राघव ने तुरंत अपना हाथ उठाया और कहा, "सर, उन्होंने 300 रुपये कमाए, लेकिन पहले उन्होंने 200 रुपये खर्च किए थे, इसलिए उनका कुल लाभ 100 रुपये है।" शिक्षक ने मुस्कुराते हुए कहा, "बिलकु...

रिंकी और संतुलित भोजन का जादू: बाल कहानी

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रिंकी और संतुलित भोजन का जादू: बाल कहानी  :नवीन सिंह राणा की कलम से       रिंकी एक प्यारी सी बच्ची थी, जिसे खेलना बहुत पसंद था। लेकिन वह खाने में बहुत नखरे करती थी। उसे केवल चिप्स और चॉकलेट पसंद थे। एक दिन, वह स्कूल से घर आई और उसकी माँ ने देखा कि वह बहुत थकी हुई और उदास लग रही थी। उसकी माँ ने पूछा, "रिंकी, तुम इतनी थकी हुई क्यों हो?"    रिंकी ने कहा, "माँ, मुझे खेलने में मजा नहीं आ रहा और मुझे हमेशा थकान महसूस होती है।"    उसकी माँ ने सोचा कि अब समय आ गया है कि रिंकी को संतुलित भोजन के बारे में सिखाया जाए। क्योंकि यह खाने से अधिक चिप्स, चाउमीन और पैकेज फूड खाना अधिक पसंद करती है।उन्होंने रिंकी से कहा, "रिंकी, चलो एक कहानी के माध्यम से संतुलित भोजन के महत्व को समझते हैं। और यह आपके लिय बेहद जरूरी है।     एक दिन की बात है, एक सुंदर गाँव था जहाँ सभी लोग स्वस्थ और खुश रहते थे। इसका कारण था कि वे सभी संतुलित भोजन करते थे। संतुलित भोजन का मतलब है कि खाने में सभी जरूरी पोषक तत्व मौजूद हों - जैसे विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रे...

बाल कहानी: धरती के नीचे का अद्भुत सफर

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बाल कहानी: धरती के नीचे का अद्भुत सफर :नवीन सिंह राणा  बहुत समय पहले की बात है, छोटा सा गाँव था, जहाँ हर कोई खुश और मिलनसार था। गाँव में एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन को कहानियाँ सुनना और नई जगहों के बारे में जानना बहुत पसंद था। एक दिन, गाँव के बूढ़े दादा जी ने अर्जुन को पाताल लोक की एक प्राचीन कहानी सुनाई। उन्होंने बताया, “पाताल लोक, धरती के नीचे का एक अद्भुत संसार है, जहाँ अनगिनत रहस्य और अद्भुत प्राणी रहते हैं। वहाँ के लोग बहुत ज्ञानी होते हैं, और वे प्रकृति के हर छोटे-बड़े रहस्य को समझते हैं।” अर्जुन ने दादा जी से पूछा, “दादा जी, क्या मैं पाताल लोक जा सकता हूँ?” दादा जी मुस्कुराए और बोले, “अगर तुम्हारे अंदर सच्ची जिज्ञासा है, तो हाँ, तुम जा सकते हो।” अर्जुन ने उत्सुकता से यात्रा की तैयारी शुरू की। उसने अपनी छोटी-सी पोटली में कुछ जरूरी सामान रखा और अपने पालतू तोते, मणि, को साथ लेकर चल पड़ा। मणि एक खास तोता था, जो हर भाषा बोल सकता था और अनजान जगहों के रास्ते जानता था। दोनों ने गाँव के किनारे स्थित एक पुरानी गुफा से अपनी यात्रा शुरू की। गुफा के अंदर ज...

बाल कहानी: माया और घन का जादुई संसार

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**बाल कहानी: माया और घन का जादुई संसार** : नवीन सिंह राणा  एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में माया नाम की एक प्यारी बच्ची रहती थी। माया को गणित पढ़ने में बहुत मज़ा आता था, लेकिन वह घन और घनाभ के बारे में थोड़ा उलझन में थी। एक दिन जब माया घर के आंगन में खेल रही थी, अचानक उसे एक चमकता हुआ जादुई घन दिखा।  माया ने उस घन को उठाया और जैसे ही उसने उसे छुआ, वह एक जादुई जंगल में पहुँच गई। उस जंगल में सब कुछ घन और घनाभ के रूप में बना हुआ था। वहाँ पेड़ घनाभ के आकार के थे और पत्थर घन की तरह दिखते थे।  तभी उसके सामने एक नन्हा गणितज्ञ प्रकट हुआ, जिसका नाम था गणू। गणू ने कहा, "माया, मैं तुम्हारी गणित की उलझन को सुलझाने आया हूँ। चलो, हम घन और घनाभ के तलों का चेत्रफल और आयतन निकालते हैं।" गणू ने एक घन उठाया और माया को समझाया, "देखो, यह घन है। इसकी हर सतह एक वर्ग है। अगर इसकी एक सतह का लंबाई 'l' है, तो एक सतह का क्षेत्रफल l^2 होगा। और क्योंकि घन की कुल छह सतहें होती हैं, इसलिए कुल सतह क्षेत्रफल 6l^2होगा।" फिर गणू ने घन का आयतन समझाया, "अगर घन की लंबाई, चौड...

बाल कहानी: “प्लास्टिक का बदला”*

*बाल*कहानी: “प्लास्टिक का बदला”** :नवीन सिंह राणा  गांव कस्तूरीपुर बहुत सुंदर और हरा-भरा था। हर तरफ हरियाली थी, पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती थी और नदियाँ साफ़ व निर्मल थीं। गांव के बच्चे रोज़ नदी के किनारे खेलते और पेड़ों के नीचे बैठकर अपने दादा-दादी से कहानियां सुनते।  लेकिन एक दिन, गांव में एक बड़ी समस्या आ गई। कस्तूरीपुर के पास के शहर में रहने वाले लोग अपने प्लास्टिक का कचरा गांव के पास की नदी में फेंकने लगे। धीरे-धीरे नदी में प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन की थैलियाँ और अन्य कचरा जमा होने लगा।  गांव के लोग पहले तो इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे नदी का पानी गंदा होने लगा। पक्षियों की चहचहाहट कम हो गई, और बच्चों को खेलने के लिए साफ़ जगह नहीं मिल रही थी।  गांव में एक छोटा लड़का था, जिसका नाम चिंटू था। चिंटू हमेशा अपने दोस्तों के साथ नदी के किनारे खेलता था, लेकिन अब नदी में प्लास्टिक का कचरा देखकर वह बहुत उदास हो गया था। एक दिन, उसने सोचा कि कुछ करना चाहिए ताकि उसकी प्यारी नदी फिर से साफ़ हो जाए। चिंटू ने अपने दोस्तों को बुलाया और उन्हें बताया कि हमे...

*एक रोचक और बेहतरीन बाल कहानी: नीला पक्षी और चतुर खरगोश का अद्भुत साहस

*एक रोचक और बेहतरीन बाल कहानी:  नीला पक्षी और चतुर खरगोश का अद्भुत साहस** : नवीन सिंह राणा  एक घने, हरे-भरे जंगल में एक छोटा सा गांव था, जहां जंगल के सभी जानवर **मिलजुलकर** रहते थे। उसी जंगल में एक **नीला पक्षी** और एक **चतुर खरगोश** रहते थे। नीला पक्षी बहुत **सुंदर** और **चमकीले** पंखों वाला था, जिसके कारण जंगल के सभी जानवर उसकी प्रशंसा करते थे। पक्षी अपनी **मधुर** आवाज़ में गाना भी गाता था, जिससे जंगल की सुबह और भी **मनमोहक** बन जाती थी। चतुर खरगोश को अपनी तेज बुद्धि और **तेज दौड़ने** की कला पर गर्व था। वह हमेशा नई-नई योजनाएँ बनाता और शेर को **चिढ़ाता** रहता था। लेकिन वह **दयालु** और **मददगार** भी था, जिससे जंगल के बाकी जानवर उसे बहुत पसंद करते थे। एक दिन, जंगल में एक बड़ा **खतरनाक** शेर आया। शेर का नाम था 'भयांक'. वह बहुत **भूखा** और **गुस्सैल** था। उसने सोचा, "इस जंगल के सभी जानवर मेरे भोजन हैं। मैं आज इन्हें सबक सिखाऊंगा।"  शेर ने सबसे पहले चतुर खरगोश को देखा और उसके मन में ख्याल आया कि इस छोटे से खरगोश को पकड़कर वह अपनी भूख मिटा सकता है। वह **चुपके से** खरगोश की...

कहानी: “फसलों का उत्सव: एकता और ज्ञान की कथा”**

**कहानी: “फसलों का उत्सव: एकता और ज्ञान की कथा”** : नवीन सिंह राणा  शहर से कहीं दूर पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था, जिसका नाम था "शांतिपुर।" इस गाँव की खास बात यह थी कि यहाँ साल भर अलग-अलग फसलों के त्यौहार मनाए जाते थे। हर मौसम के साथ गाँव में एक नया त्यौहार आता, और गाँव के लोग पूरे जोश और उल्लास के साथ इसे मनाते। ये त्यौहार केवल फसलों की उपज का जश्न नहीं थे, बल्कि आपसी प्रेम, भाईचारे और ज्ञान के आदान-प्रदान के पर्व भी थे। साल की शुरुआत होती थी बसंत ऋतु से। इस मौसम में पूरे गाँव के खेतों में सरसों के पीले फूल खिल जाते, और यह नज़ारा किसी सुनहरी चादर जैसा लगता। बसंत पंचमी का त्यौहार गाँव में "फूलों की होली" के रूप में मनाया जाता था। इस दिन सभी लोग पीले वस्त्र पहनते, और गाँव के बीच में बने बड़े मैदान में इकट्ठा होते। वहाँ पर फूलों की पंखुड़ियों से होली खेली जाती थी। बच्चे, बूढ़े, सभी एक-दूसरे पर फूल बरसाते, और हवा में गीतों की गूँज सुनाई देती। इस दिन गाँव की महिलाएँ भी पारंपरिक गीत गाते हुए नृत्य करतीं, जिससे पूरा माहौल उल्लासमय हो जाता।  इस त्यौहार का मकसद था ब...

समुद्र का रहस्यमयी संसार : एक बाल कहानी**

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**समुद्र का रहस्यमयी संसार : एक बाल कहानी** :नवीन सिंह राणा  बहुत समय पहले की बात है, एक विशाल समुद्र के गहरे तल में एक छोटे से गाँव का नाम था "मोतियों की नगरी"। इस नगरी में कई प्रकार के जीव-जंतु रहते थे, जिनमें शरारती मछली "नीली", बुद्धिमान कछुआ "भोलू", चमकदार ऑक्टोपस "जगमग", और एक प्यारी सी डॉल्फिन "सीमा" थीं। सभी जीव-जंतु आपस में मिलकर खुशी-खुशी रहते थे।  नीली सबसे तेज़ तैरने वाली मछली थी, और उसे नई-नई जगहों पर घूमने का बहुत शौक था। एक दिन नीली और उसके दोस्त समुद्र के सबसे गहरे कोने में खेलने गए। वहाँ उन्होंने एक चमकता हुआ बड़ा सा गोला देखा। "क्या ये कोई नया खिलौना है?" नीली ने उत्सुकता से पूछा। "नहीं, यह खिलौना नहीं है," भोलू कछुआ धीरे-धीरे चलते हुए बोला। "यह तो इंसानों द्वारा फेंकी गई प्लास्टिक की बॉटल है।"  "प्लास्टिक की बॉटल?" सीमा ने चौंकते हुए कहा। "ये कैसे यहाँ आ गई?" "इंसान जब समुद्र में कचरा फेंकते हैं, तो वह बहकर यहाँ तक आ जाता है," जगमग ऑक्...

मंगल ग्रह की रोमांचक यात्रा**

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**मंगल ग्रह की रोमांचक यात्रा** (बच्चों के लिय एक काल्पनिक कहानी) :नवीन सिंह राणा  पृथ्वी पर एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम आदित्य था। आदित्य की उम्र महज दस साल थी, लेकिन उसका सपना उससे कहीं बड़ा था। उसे हमेशा से अंतरिक्ष और आकाशगंगा की दुनिया में खो जाने का शौक था। वह रात में अपने घर की छत पर जाकर तारों को देखता और सोचता, "क्या इन तारों के पार भी कोई दुनिया है? क्या मंगल ग्रह पर कोई जीवन है?" आदित्य के पिताजी एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, जो अंतरिक्ष शोध में लगे रहते थे। एक दिन आदित्य ने उनसे पूछा, "पापा, क्या मैं मंगल ग्रह पर जा सकता हूँ?" पिताजी ने उसे गोद में उठाते हुए कहा, "बिल्कुल, बेटा! अगर तुमने खूब पढ़ाई की और मेहनत की, तो एक दिन जरूर मंगल पर जा सकते हो।" यह सुनकर आदित्य ने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना शुरू कर दिया। वह अंतरिक्ष विज्ञान की किताबें पढ़ता, नए-नए प्रयोग करता, और हर रोज़ कुछ नया सीखने की कोशिश करता। स्कूल में भी उसकी प्रतिभा की चर्चा होने लगी। उसकी लगन देखकर उसके पिताजी ने उसे अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र में लेकर जाना शुरू कर दिया, जहाँ वह वै...

बूँदू का सफर: जल चक्र की कहानी

"बूँदू का सफर: जल चक्र की कहानी  : नवीन सिंह राणा  एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक नन्हा बादल रहता था, जिसका नाम बूँदू था। बूँदू को आसमान में उड़ना बहुत पसंद था, लेकिन उसे ये समझ नहीं आता था कि वह कैसे बना और उसका काम क्या है। एक दिन, बूँदू ने सूरज अंकल से पूछा, "सूरज अंकल, मैं कहाँ से आया हूँ?" सूरज अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा, "बूँदू, तुम पानी की एक बूँद से बने हो। चलो, मैं तुम्हें जल चक्र की कहानी सुनाता हूँ।" सूरज अंकल ने बताया कि बहुत समय पहले, समुद्र में पानी की बूँदें थीं। जब सूरज ने अपनी गर्मी से पानी को गर्म किया, तो वो भाप बनकर आसमान में उड़ गईं। भाप की ये छोटी-छोटी बूँदें मिलकर बादल बनाती हैं। इस तरह बूँदू भी आसमान में पहुंचा था। बूँदू ने पूछा, "फिर मेरे बाद क्या होता है?" सूरज अंकल ने बताया, "जब बादल भारी हो जाते हैं और उन्हें ठंडक मिलती है, तो बूँदें फिर से पानी बनकर धरती पर बरस जाती हैं। इस पानी को नदियाँ, तालाब, और समुद्र वापस लेकर जाती हैं, और फिर से भाप बनती है। इसे ही जल चक्र कहते हैं।" बूँदू ने खुशी से कहा, "त...