बाल कहानी: धरती के नीचे का अद्भुत सफर
बाल कहानी: धरती के नीचे का अद्भुत सफर
:नवीन सिंह राणा
बहुत समय पहले की बात है, छोटा सा गाँव था, जहाँ हर कोई खुश और मिलनसार था। गाँव में एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन को कहानियाँ सुनना और नई जगहों के बारे में जानना बहुत पसंद था। एक दिन, गाँव के बूढ़े दादा जी ने अर्जुन को पाताल लोक की एक प्राचीन कहानी सुनाई।
उन्होंने बताया, “पाताल लोक, धरती के नीचे का एक अद्भुत संसार है, जहाँ अनगिनत रहस्य और अद्भुत प्राणी रहते हैं। वहाँ के लोग बहुत ज्ञानी होते हैं, और वे प्रकृति के हर छोटे-बड़े रहस्य को समझते हैं।”
अर्जुन ने दादा जी से पूछा, “दादा जी, क्या मैं पाताल लोक जा सकता हूँ?”
दादा जी मुस्कुराए और बोले, “अगर तुम्हारे अंदर सच्ची जिज्ञासा है, तो हाँ, तुम जा सकते हो।”
अर्जुन ने उत्सुकता से यात्रा की तैयारी शुरू की। उसने अपनी छोटी-सी पोटली में कुछ जरूरी सामान रखा और अपने पालतू तोते, मणि, को साथ लेकर चल पड़ा। मणि एक खास तोता था, जो हर भाषा बोल सकता था और अनजान जगहों के रास्ते जानता था।
दोनों ने गाँव के किनारे स्थित एक पुरानी गुफा से अपनी यात्रा शुरू की। गुफा के अंदर जाते ही अर्जुन ने देखा कि वहाँ एक गहरा सुरंग था, जो धरती के नीचे की ओर जाता था। बिना डरे, अर्जुन ने मणि के साथ उस सुरंग में प्रवेश किया।
जैसे-जैसे वे गहराई में उतरते गए, वैसे-वैसे अजीबोगरीब चीजें दिखने लगीं। रास्ते में उन्हें चमकते हुए पत्थर मिले, जो रास्ता दिखा रहे थे। कुछ देर बाद, वे एक विशाल द्वार के पास पहुंचे। द्वार पर एक विशालकाय नाग था, जिसने अर्जुन से पूछा, “तुम कौन हो, और यहाँ क्यों आए हो?”
अर्जुन ने विनम्रता से उत्तर दिया, “मैं अर्जुन हूँ। मैं पाताल लोक की खोज में हूँ और धरती के भीतर के रहस्यों को जानना चाहता हूँ।”
नाग ने कहा, “तुम्हारी सच्ची जिज्ञासा को देखते हुए, मैं तुम्हें अंदर जाने दूँगा। लेकिन याद रखना, पाताल लोक के रहस्य केवल उन लोगों के लिए हैं जो ज्ञान की भूख रखते हैं।”
अर्जुन और मणि ने नाग का धन्यवाद किया और द्वार के अंदर चले गए। वहाँ उन्होंने देखा कि एक शानदार संसार उनकी प्रतीक्षा कर रहा था। चारों ओर अद्भुत पेड़, फूल, और झरने थे, और वहाँ के लोग बहुत ही शांत और ज्ञानी थे। वहाँ उन्हें एक बूढ़ा ऋषि मिला, जिसने अर्जुन को बताया कि पाताल लोक में हर प्राणी धरती के रहस्यों को समझने के लिए एक-दूसरे की मदद करता है। यहाँ के पेड़-पौधे, जानवर और यहाँ तक कि पत्थर भी बात कर सकते हैं और ज्ञान बाँट सकते हैं।
उन्होंने समझाया कि धरती के नीचे की परतों में कैसे चट्टानें बनती हैं, कैसे गर्म लावा सतह के नीचे बहता है, और कैसे वहाँ की धातुएँ और खनिज धरती की शक्ति और संतुलन को बनाए रखते हैं।
अर्जुन ने अपने सारे सवाल पूछे, और ऋषि ने हर सवाल का उत्तर दिया। कुछ दिनों बाद, अर्जुन ने अपने ज्ञान का खजाना लेकर वापस गाँव लौटने का निश्चय किया। जाते समय, ऋषि ने उसे एक चमकता हुआ पत्थर दिया और कहा, “यह पत्थर तुम्हें हमेशा याद दिलाएगा कि सच्चा ज्ञान वही है जो हमें धरती से जोड़ता है।”
अर्जुन ने गाँव लौटकर अपने दोस्तों और परिवार को पाताल लोक की अद्भुत यात्रा के बारे में बताया। उस दिन से, अर्जुन और उसके दोस्त धरती के बारे में और अधिक जानने के लिए किताबें पढ़ते और प्रकृति का अध्ययन करते।
इस कहानी के माध्यम से बच्चों को धरती के अंदर के वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में रोचक तरीके से बताया जा सकता है। जैसे कि धरती की परतें, लावा, खनिज आदि। साथ ही, उन्हें यह भी समझाया जा सकता है कि सच्ची जिज्ञासा और ज्ञान की भूख हमें नए रहस्यों को जानने के लिए प्रेरित करती है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें