सेवानिवृत्त शिक्षक: समाज का मौन निर्माता और प्रेरणा के जीवंत स्रोत
सेवानिवृत्त शिक्षक: ज्ञान दीप से समाज आलोकित करने वाले पथप्रदर्शक
🖋️नवीन सिंह
समाज के निर्माण में यदि किसी की सबसे बड़ी भूमिका होती है, तो वह हैं हमारे शिक्षक।
शिक्षक—एक ऐसा शब्द है जिसमें ज्ञान, समर्पण, त्याग और संस्कारों की सुगंध समाहित होती है। एक शिक्षक केवल पाठ्यपुस्तकों की जानकारी ही नहीं देता, बल्कि वह छात्रों के जीवन का भविष्य गढ़ता है, उन्हें जीवन की राह पर चलना सिखाता है और हर परिस्थिति में मजबूत बने रहने की प्रेरणा देता है ।शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले नहीं, बल्कि जीवन के मार्गदर्शक, संस्कारों के निर्माता और समाज को दिशा देने वाले प्रेरणा-स्तंभ होते हैं। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा आयोजित सेवानिवृत्त शिक्षकों के विदाई एवं सम्मान समारोह में यह बात पुनः सिद्ध हुई।
बीआरसी खटीमा में आयोजित इस गरिमामयी समारोह में सात ऐसे शिक्षकों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने वर्षों तक निष्ठा, लगन और समर्पण से बालकों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। जिला शिक्षा अधिकारी हरेन्द्र कुमार मिश्रा जी ने अपने उद्बोधन में यह बड़ी सुंदर बात कही कि "शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, यह एक सरकारी प्रक्रिया भर है। शिक्षक का प्रभाव जीवन भर समाज पर बना रहता है।"
यह कथन न केवल शिक्षकों के महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी समझाता है कि एक शिक्षक का जीवन सेवा और समाजोत्थान की जीवंत मिसाल होता है। आज आवश्यकता है कि हम शिक्षक सम्मान को केवल मंचों तक सीमित न रखें। हमें उनके अनुभवों का दस्तावेजीकरण करना चाहिए, विद्यालयी पत्रिकाओं में उनके लेख, संस्मरण और सुझावों को स्थान देना चाहिए। सेवानिवृत्त शिक्षक हमारे समाज की 'चलती-फिरती लाइब्रेरी' हैं, जो पुस्तकों से कहीं अधिक जीवंत, व्यावहारिक और प्रेरणादायक होती हैं।आज जब समाज कई प्रकार की चुनौतियों से जूझ रहा है, तब ऐसे शिक्षकों की जरूरत और बढ़ जाती है जो सेवा-निवृत्ति के बाद भी अपने अनुभवों से समाज को मार्गदर्शन दे सकें।
सेवानिवृत्त शिक्षकों में श्री राधेश्याम जी ,श्री जुगल बिहारी, श्री धन सिंह, श्री देवेंद्र सिंह रौतेला, श्रीमती अर्चना गुप्ता, श्रीमती सारिका सक्सेना, और श्रीमती पूनम मल्होत्रा जैसे नाम शामिल हैं, जिन्होंने शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया। इनका सम्मान सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भाव है कि समाज उनका ऋणी है।इन सभी शिक्षकों ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे बीज बोए, जिनकी फसल अब समाज में अच्छे नागरिकों, जिम्मेदार युवाओं और संवेदनशील व्यक्तियों के रूप में दिखाई देती है।
यह आयोजन युवा शिक्षकों को भी प्रेरित करता है कि यदि वे निष्ठा से कार्य करें, तो उनका योगदान वर्षों बाद भी याद किया जाएगा। आज आवश्यकता है कि हम अपने बच्चों को ऐसे शिक्षकों की प्रेरणादायी कहानियाँ सुनाएं, ताकि वे शिक्षा को केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि समाज-निर्माण का माध्यम समझें।
कार्यक्रम में
मुख्य अतिथि:
श्री हरेंद्र कुमार मिश्रा जी– जिला शिक्षा अधिकारी, प्राथमिक शिक्षा
विशिष्ट अतिथि:
श्री भानु प्रताप कुशवाह जी– उप शिक्षा अधिकारी खटीमा
श्री सुरेश शर्मा जी– पूर्व प्रांतीय उप मंत्री
श्री कमान सिंह सामंत जी – अध्यक्ष शिक्षक संगठन
साथ ही शिक्षक संगठन के सभी पदाधिकारी और हमारे कई शिक्षक शिक्षिका साथी उपस्थित रहे।
निष्कर्षतः, सेवानिवृत्त शिक्षक हमारे समाज की नींव हैं। उनका अनुभव, विचार और जीवन दृष्टि आने वाली पीढ़ियों को दिशा दे सकती है। आज जब हम आधुनिकता के शोर में जीवन के मूल्यों को खोते जा रहे हैं, तब हमें इन अनुभवशील शिक्षकों की ओर लौटना होगा। उन्हें केवल सम्मानित करना ही पर्याप्त नहीं, बल्कि उन्हें अपने सामाजिक व शैक्षिक संवाद में शामिल करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।सेवानिवृत्त शिक्षक हमारे समाज की वह थाती हैं जो अनुभव, ज्ञान और मूल्यों का खजाना हैं। हमें न केवल उनका सम्मान करना चाहिए, बल्कि उनके अनुभवों का लाभ नई पीढ़ी को देने के प्रयास भी करने चाहिए। यही सच्ची गुरु-सेवा होगी और शिक्षा का उद्देश्य भी।
एक दीपक बुझता है, तो अनेक दीपक उससे रोशन हो जाते हैं। यही एक शिक्षक की सबसे बड़ी पहचान है।
--
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें