बूँदू का सफर: जल चक्र की कहानी


"बूँदू का सफर: जल चक्र की कहानी 
: नवीन सिंह राणा 

एक बार की बात है, एक छोटे से गांव में एक नन्हा बादल रहता था, जिसका नाम बूँदू था। बूँदू को आसमान में उड़ना बहुत पसंद था, लेकिन उसे ये समझ नहीं आता था कि वह कैसे बना और उसका काम क्या है।

एक दिन, बूँदू ने सूरज अंकल से पूछा, "सूरज अंकल, मैं कहाँ से आया हूँ?"

सूरज अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा, "बूँदू, तुम पानी की एक बूँद से बने हो। चलो, मैं तुम्हें जल चक्र की कहानी सुनाता हूँ।"

सूरज अंकल ने बताया कि बहुत समय पहले, समुद्र में पानी की बूँदें थीं। जब सूरज ने अपनी गर्मी से पानी को गर्म किया, तो वो भाप बनकर आसमान में उड़ गईं। भाप की ये छोटी-छोटी बूँदें मिलकर बादल बनाती हैं। इस तरह बूँदू भी आसमान में पहुंचा था।

बूँदू ने पूछा, "फिर मेरे बाद क्या होता है?"

सूरज अंकल ने बताया, "जब बादल भारी हो जाते हैं और उन्हें ठंडक मिलती है, तो बूँदें फिर से पानी बनकर धरती पर बरस जाती हैं। इस पानी को नदियाँ, तालाब, और समुद्र वापस लेकर जाती हैं, और फिर से भाप बनती है। इसे ही जल चक्र कहते हैं।"

बूँदू ने खुशी से कहा, "तो मैं धरती पर जाकर पेड़-पौधों को पानी दूँगा, और फिर वापस आसमान में आऊँगा!"

सूरज अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, बूँदू, तुम्हारा यही काम है। तुम धरती के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो।"

इस तरह बूँदू ने जल चक्र को समझा और वह खुश होकर आसमान में तैरने लगा, धरती पर बरसने के इंतजार में। जब भी वह धरती पर बरसता, तो उसे बहुत खुशी होती कि वह पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के लिए जीवनदायिनी बनता है।

और इस तरह बूँदू का सफर चलता रहा, जल चक्र को पूरा करते हुए।

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