बाल कहानी: माया और घन का जादुई संसार

**बाल कहानी: माया और घन का जादुई संसार**
: नवीन सिंह राणा 


एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में माया नाम की एक प्यारी बच्ची रहती थी। माया को गणित पढ़ने में बहुत मज़ा आता था, लेकिन वह घन और घनाभ के बारे में थोड़ा उलझन में थी। एक दिन जब माया घर के आंगन में खेल रही थी, अचानक उसे एक चमकता हुआ जादुई घन दिखा। 
माया ने उस घन को उठाया और जैसे ही उसने उसे छुआ, वह एक जादुई जंगल में पहुँच गई। उस जंगल में सब कुछ घन और घनाभ के रूप में बना हुआ था। वहाँ पेड़ घनाभ के आकार के थे और पत्थर घन की तरह दिखते थे। 

तभी उसके सामने एक नन्हा गणितज्ञ प्रकट हुआ, जिसका नाम था गणू। गणू ने कहा, "माया, मैं तुम्हारी गणित की उलझन को सुलझाने आया हूँ। चलो, हम घन और घनाभ के तलों का चेत्रफल और आयतन निकालते हैं।"

गणू ने एक घन उठाया और माया को समझाया, "देखो, यह घन है। इसकी हर सतह एक वर्ग है। अगर इसकी एक सतह का लंबाई 'l' है, तो एक सतह का क्षेत्रफल l^2 होगा। और क्योंकि घन की कुल छह सतहें होती हैं, इसलिए कुल सतह क्षेत्रफल 6l^2होगा।"
फिर गणू ने घन का आयतन समझाया, "अगर घन की लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई एक ही होती है, तो आयतन l ^3  होगा। यानी आयतनl^3 होगा।"
अब माया की समझ में सब आ गया। उसने गणू से पूछा, "लेकिन घनाभ क्या है?"

गणू ने पास में पड़ा एक घनाभ उठाया और बोला, "घनाभ घन का ही एक रूप है, लेकिन इसमें लंबाई, चौड़ाई, और ऊँचाई अलग-अलग होती हैं। अगर इसकी लंबाई 'l', चौड़ाई 'w', और ऊँचाई 'h' है, तो इसका आयतन lwh होगा।"

गणू ने माया को बताया कि घन और घनाभ का उपयोग बहुत सी जगहों पर होता है। जैसे, ईंटें, किताबें, और घरों के कमरे भी घनाभ के रूप में होते हैं। "तुम जब भी कोई ईंट देखोगी, तो उसमें घनाभ की शक्ति पहचान पाओगी," गणू ने मुस्कराते हुए कहा।
माया अब बहुत खुश थी। उसे अब घन और घनाभ के बारे में सब कुछ समझ आ गया था। उसने गणू का धन्यवाद किया और जादुई घन को वापस रखते ही वह फिर से अपने आंगन में लौट आई।

उस दिन से, माया ने कभी घन और घनाभ को नहीं भूला। वह जहाँ भी जाती, उन्हें पहचान लेती और उनके आयतन और क्षेत्रफल की गणना करती रहती। उसने अपने दोस्तों को भी ये सब समझाया और सबने मिलकर गणित के इस जादुई संसार में खूब मज़े किए।


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