इंद्रधनुष की खोज
इंद्रधनुष की खोज
✍️ विद्या विज्ञान
रूही एक प्यारी और नटखट बच्ची थी, जिसे हमेशा आसमान के रंगीन दृश्य आकर्षित करते थे। उसे खासकर बारिश के बाद आसमान में दिखाई देने वाला इंद्रधनुष बहुत अच्छा लगता था। एक दिन उसने पहली बार इंद्रधनुष देखा, और उसकी सुंदरता देखकर उसकी आँखें चमक उठीं। लेकिन उसके मन में एक सवाल उभरा, "ये रंग आसमान में कैसे आ जाते हैं?"
वह अपनी माँ के पास दौड़कर गई और बोली, "माँ, ये इंद्रधनुष कैसे बनता है? इसमें इतने सारे रंग कैसे आ जाते हैं?"
माँ ने मुस्कराते हुए कहा, "रूही, इंद्रधनुष तब बनता है जब सूर्य की किरणें बारिश की बूँदों से टकराती हैं और उनमें से होकर गुजरती हैं। जब प्रकाश की किरणें पानी की बूँदों में जाती हैं, तो वे सात रंगों में बंट जाती हैं। इन्हीं सात रंगों को हम इंद्रधनुष में देखते हैं।"
रूही ने हैरानी से पूछा, "सात रंग? कौन-कौन से?"
माँ ने समझाया, "इंद्रधनुष में लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, आसमानी, और बैंगनी रंग होते हैं। ये सारे रंग सफेद रोशनी से ही निकलते हैं।"
रूही ने थोड़ी देर सोचा और फिर पूछा, "क्या हम इंद्रधनुष को अपने घर में भी बना सकते हैं?"
माँ हंसते हुए बोलीं, "हां, बिल्कुल! आओ, मैं तुम्हें दिखाती हूँ।"
माँ ने एक प्रिज्म निकाला, जो एक त्रिकोण के आकार का कांच का टुकड़ा था। उन्होंने एक टॉर्च की रोशनी को प्रिज्म पर फोकस किया और जैसे ही रोशनी प्रिज्म से गुजरी, दीवार पर सात रंगों का छोटा सा इंद्रधनुष बन गया। रूही की आँखें खुशी से चमक उठीं। "वाह, माँ! ये तो जादू जैसा है!"
माँ ने कहा, "यह जादू नहीं है, बल्कि विज्ञान है। जब प्रकाश की किरणें पानी या प्रिज्म जैसी चीज़ों से गुजरती हैं, तो वे बिखर जाती हैं और इन सात रंगों में बदल जाती हैं। इसी को हम इंद्रधनुष कहते हैं।"
रूही ने अब घर में छोटे-छोटे प्रयोग करना शुरू कर दिया। एक दिन उसने एक कांच की बोतल में पानी भरा और उसे धूप में रखा। जब सूरज की किरणें पानी में से होकर गुजरीं, तो दीवार पर फिर से इंद्रधनुष के रंग उभर आए। अब रूही को इंद्रधनुष के बनने की प्रक्रिया समझ आ गई थी, और वह हर बार जब बारिश होती, आसमान में इंद्रधनुष ढूंढने का मज़ा लेती थी।
उसने अपने दोस्तों को भी यह विज्ञान का चमत्कार दिखाया और अब जब भी वे इंद्रधनुष देखते, वे हंसते और कहते, "देखो! रूही ने फिर से इंद्रधनुष बना दिया!"
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