तोतो चान पुस्तक और मेरी समझ: एक अनुभव
तोतो चान पुस्तक और मेरी समझ: एक अनुभव
:नवीन सिंह राणा
मुझे यह पुस्तक श्री दिव्य प्रकाश जोशी जी के सहयोग से अजीमजी फाउंडेशन टीएलसी खटीमा से प्राप्त हुई थी, जोशी जी ने यह पुस्तक देकर इस पुस्तक को मैं कितना समझ पाया इस पर भी प्रकाश डालने के लिय कहा था, मैं उनका आभारी हूं कि वे मुझे समय समय पर इस तरह की पुस्तके देते रहते हैं और बीच बीच में उन पुस्तकों में चर्चा भी करते रहते हैं। समय समय पर इनका हमारे विद्यालय आना जाना लगा रहता है और बच्चों के साथ कुछ मनोरंजक कविता, कहानी, गतिविधियां करते रहते हैं।
जोशी जी के कहने पर प्रस्तुत लेख में मैं अपने कुछ प्रयास जो मैं समझ पाया, प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हुं, गलतियों को इग्नोर न करते हुए कमेंट बॉक्स में जरूर अपने विचार हमारे साथ शेयर करे।
**तोतो-चान** जापानी लेखिका **टेत्सुको कुरोयानागी** द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसका पूरा नाम है "तोतो-चान: द लिटिल गर्ल एट द विंडो"। यह एक छोटी बच्ची तोतो-चान और उसके स्कूल की कहानी है, जहां उसे एक अद्वितीय शिक्षक के मार्गदर्शन में नई शिक्षा प्रणाली से परिचित कराया जाता है।
**संक्षेप में कहानी:**
तोतो-चान एक जिज्ञासु और चंचल बच्ची है, जिसे अपने पुराने स्कूल से अनुशासनहीनता के कारण निकाल दिया जाता है। उसकी माँ उसे एक विशेष स्कूल "तोमोए गाकुएन" में दाखिल कराती है, जहाँ एक अद्भुत प्रधानाध्यापक, कोबायाशी-संसेई, उसे समझते हैं और उसकी विशेषताओं को सम्मान देते हैं। इस स्कूल में शिक्षा की परंपरागत सीमाओं से परे बच्चों को आजादी दी जाती है कि वे अपने हिसाब से सीखें। यहाँ बच्चों को अपने अनुभवों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और उनकी अलग-अलग क्षमताओं का सम्मान किया जाता है।
**मुख्य बिंदु:**
1. **बच्चे की स्वतंत्रता और अन्वेषण की भावना को बढ़ावा देना** - कोबायाशी-संसेई का मानना था कि बच्चों को अपने ढंग से दुनिया को जानने और समझने का अवसर दिया जाना चाहिए।
2. **शिक्षक का धैर्य और समझ** - शिक्षक का काम केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि हर बच्चे की भावनाओं और विशेषताओं को समझना और उन्हें सहारा देना है।
3. **बच्चों के प्रति सहानुभूति और सम्मान** - पुस्तक यह सिखाती है कि बच्चों की अनोखी सोच और उनके नजरिये को सराहा जाना चाहिए, न कि उन्हें अनुशासन के नाम पर दबाया जाना चाहिए।
4. **विविधता का सम्मान** - हर बच्चा अलग होता है, और शिक्षा को उसकी जरूरतों के अनुरूप ढालना चाहिए।
5. **रचनात्मक और खुली शिक्षा** - पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के मुकाबले खुली शिक्षा बच्चों की रचनात्मकता को उभारने में ज्यादा सहायक होती है। यहाँ बच्चों को कक्षा से बाहर जाकर सीखने के अवसर मिलते हैं।
**एक शिक्षक को यह किताब क्यों पढ़नी चाहिए:**
1. **बाल मनोविज्ञान की समझ** - यह किताब बच्चों के मनोविज्ञान को गहराई से समझने में मदद करती है। एक शिक्षक के लिए यह समझना जरूरी है कि हर बच्चा अनोखा होता है, और उसकी शिक्षा के तरीके भी अलग होने चाहिए।
2. **सकारात्मक दृष्टिकोण** - बच्चों को अनुशासन के नाम पर दबाने के बजाय, उन्हें उनके प्राकृतिक व्यवहार और जिज्ञासाओं के साथ सीखने देना शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है।
3. **बच्चों के प्रति धैर्य** - शिक्षक इस किताब से यह सीख सकते हैं कि धैर्य से बच्चों की समस्याओं को समझा जाए और उनका समाधान खोजा जाए।
4. **रचनात्मक शिक्षण तकनीक** - यह किताब नए और रचनात्मक तरीके से बच्चों को पढ़ाने की प्रेरणा देती है, जो न सिर्फ बच्चों के लिए रोचक होता है, बल्कि अधिक प्रभावशाली भी।
**कक्षा में उपयोग के तरीके:**
1. **अन्वेषण और प्रयोग की आजादी दें** - बच्चों को सवाल पूछने और अपनी समझ के अनुसार विषयों को जानने की आजादी दें।
2. **प्राकृतिक शिक्षण विधि अपनाएँ** - कक्षा के बाहर भी बच्चों को शिक्षा दें, जैसे कि उन्हें पर्यावरण, कला, और संगीत से जोड़ना।
3. **बच्चों की विविधता को पहचानें** - हर बच्चे की अलग-अलग क्षमताओं को पहचानें और उनकी रुचियों के अनुसार शिक्षा को अनुकूलित करें।
4. **सहभागी शिक्षा** - बच्चों को सिर्फ जानकारी देने के बजाय, उन्हें कक्षा की गतिविधियों में भागीदार बनाएं, ताकि वे खुद अपने अनुभवों से सीखें।
**तोतो-चान** जैसी किताब एक शिक्षक के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकती है, जो बाल शिक्षा के प्रति अधिक संवेदनशील और रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने में मदद करती है।
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विद्या विज्ञान के माध्यम से हमारा प्रयास है कि हम बच्चों और शिक्षकों के लिय अच्छी जानकारी युक्त प्रेरक रचनाएं आप सभी के समक्ष प्रस्तुत कर सके।
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