रानी और जल के स्रोत की समझ

 रानी और जल के स्रोत की समझ

नवीन सिंह राणा


रानी एक प्यारी और जिज्ञासु बच्ची थी। एक दिन, उसने अपने दादाजी से पूछा, "दादाजी, लोग हमेशा कहते हैं 'जल ही जीवन है।' इसका क्या मतलब है?"

रानी के दादा जी के पास एक जादुई छड़ी थी, वे जो चीज इस छड़ी से कराना चाहते थे कर सकते थे।


दादाजी ने मुस्कुराते हुए कहा, "रानी, चलो मैं तुम्हें आज जल के बारे में कुछ अच्छा दिखाता हुं जहाँ तुम जल के स्रोत और जल बचाने के महत्व के बारे में जान सकोगी।"


दादाजी ने रानी का हाथ पकड़ा और जादुई छड़ी घुमाई। वे अचानक एक सुंदर झील के किनारे पहुँचे। दादाजी ने कहा, "रानी, यह झील एक जल स्रोत है। यह हमें पीने का पानी, मछलियाँ और अन्य जीव-जंतुओं का घर प्रदान करती है।"


रानी ने झील की सुंदरता देखी और कहा, "दादाजी, यह तो बहुत सुंदर है!और इसमें अपार जल राशि भरी हुई है,

दादा जी ने कहा,, हां बेटा झील जल का एक विशाल स्रोत है, ये अधिकतर प्रकृति में अपने आप बनी होती है, लेकिन कुछ मानव निर्मित झीलें भी होती हैं।


फिर, दादाजी ने छड़ी को फिर से घुमाया और वे एक बड़े नदी के किनारे पहुँचे। दादाजी ने कहा, "रानी, यह नदी भी एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। ।     नदी से जल भरती हुईं ग्रामीण महिलाएं 

यह खेतों को सिंचाई के लिए पानी देती है, और लोग इससे पीने का पानी भी प्राप्त करते हैं।"नदियों में पानी पर्वतों से आता हैं ये कुछ नदी हिमनदों से निकलती हैं जिनमे वर्ष भर पानी आता है, कुछ भूमिगत जल स्रोत से निकलती हैं और कुछ नदियां सिर्फ बरसात में जल से भर जाती हैं।"।          हिमनद से निकलती हुई नदी 

रानी ने देखा कि लोग नदी से पानी भर रहे थे और खेतों को सींच रहे थे। उसने पूछा, "दादाजी, अगर नदी और झीलें न हों तो क्या होगा?"

दादाजी ने कहा, "रानी, अगर जल स्रोत नहीं होंगे तो हमें पीने का पानी नहीं मिलेगा, हमारी फसलें नहीं उगेंगी, और जीवन बहुत कठिन हो जाएगा। इसलिए कहते हैं 'जल ही जीवन है।'"

।       तालाब से जल भरती हुईं ग्रामीण महिलाएं 

फिर, दादाजी ने रानी को एक गाँव में ले गए, जहाँ लोग कुएँ से पानी निकाल रहे थे। "रानी, यह कुआँ एक और जल स्रोत है। गाँव के लोग इसका उपयोग पीने, खाना पकाने और नहाने के लिए करते हैं।"

।                  गांव में जल का स्रोत कुआं 

रानी ने देखा कि लोग बड़ी मेहनत से पानी निकाल रहे थे। उसने कहा, "दादाजी, हमें जल बचाना चाहिए ताकि हमें हमेशा पानी मिल सके।"


दादाजी ने सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल सही, रानी। हमें जल बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए।"


उन्होंने रानी को कुछ सुझाव दिए:

1. नल को बंद रखें जब उसका उपयोग न हो।

2. बारिश के पानी को एकत्रित करें और इसे बगीचे में उपयोग करें।

3. पानी की बर्बादी से बचें, जैसे कि नहाते समय कम पानी का उपयोग करें।

4. लीक हो रहे नल और पाइप को ठीक करवाएं।


रानी ने ये सब ध्यान से सुना और कहा, "दादाजी, मैं अब जल बचाने के इन तरीकों को अपनाऊँगी और अपने दोस्तों को भी बताऊँगी।"


दादाजी ने मुस्कुराते हुए कहा, "रानी, अगर हर कोई जल बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएगा, तो हम अपने जल स्रोतों को बचा पाएंगे और जीवन को सुरक्षित रख पाएंगे।"


उस दिन के बाद, रानी ने जल बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया और अपने दोस्तों और परिवार को भी जागरूक किया। उसने समझा कि जल ही जीवन है और हमें इसे बचाने के लिए सबको मिलकर काम करना चाहिए।


इस तरह, रानी ने जल के स्रोतों के महत्व और जल बचाने की आवश्यकता को समझा और अपने छोटे-छोटे कदमों से एक बड़ा परिवर्तन लाने की कोशिश की।

विद्या विज्ञान द्वारा प्रस्तुत बाल कहानी का मुख्य उद्देश्य है कि बालक रुचि पूर्ण तरीके से आनंद प्राप्त करे और छोटे छोटे विषय बिंदु को आसानी से समझे और एक अच्छी समझ विकसित कर उसका उपयोग अपने जीवन मे कर सके। यदि आपको कहानी अच्छी लगे तो कमेंट करें और हमे फॉलो करें।

धन्यवाद 

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