**शब्दपुर का रंगीन उत्सव

**शब्दपुर का रंगीन उत्सव**
नवीन सिंह राणा 

शब्दपुर गाँव में एक बार फिर से जश्न का माहौल था। इस बार वहाँ एक रंगीन उत्सव का आयोजन हो रहा था, जहाँ संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण एक साथ मिलकर अपनी-अपनी खूबियों को प्रदर्शित करने वाले थे। इस उत्सव का आयोजन करने वाला कोई और नहीं बल्कि शब्दपुर का सबसे सम्मानित संज्ञा शब्द "राजा" था।

राजा ने उत्सव की शुरुआत करते हुए कहा, "मेरे प्यारे शब्दपुरवासियों, आज हम सभी संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के बारे में जानेंगे। हम देखेंगे कि ये तीनों कैसे एक-दूसरे के साथ मिलकर वाक्य और भाषा को सुंदर बनाते हैं।"

राजा ने सबसे पहले कुछ संज्ञा शब्दों को मंच पर बुलाया, जैसे "पेड़", "पानी", "लड़की", "खिलौना"। राजा ने बच्चों से पूछा, "क्या आप सभी जानते हैं कि ये क्या हैं?"

बच्चों ने मिलकर कहा, "हाँ, ये सब संज्ञा हैं। ये किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या विचार के नाम होते हैं।"

तभी मंच पर "मैं", "तुम", "वह", "ये", और "वे" सर्वनाम शब्द आ गए। "मैं" ने कहा, "हम सर्वनाम हैं। जब बार-बार किसी संज्ञा का नाम लेना होता है, तो हम उसकी जगह ले लेते हैं। जैसे अगर हम कहें 'लड़की स्कूल जाती है। वह पढ़ाई करती है।' यहाँ 'वह' शब्द 'लड़की' के लिए उपयोग हुआ है।"

सभी बच्चों ने तालियाँ बजाईं, क्योंकि उन्होंने समझ लिया था कि सर्वनाम संज्ञा की जगह लेते हैं।

अब राजा ने विशेषण को बुलाया। मंच पर "लंबा", "मीठा", "सुंदर", "नीला", "तीखा" जैसे विशेषण शब्द आ गए। "लंबा" ने कहा, "हम विशेषण हैं। हम संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं। जैसे 'लंबा पेड़', 'मीठा आम', 'सुंदर लड़की'। हम बताते हैं कि कोई वस्तु या व्यक्ति कैसा है।"

राजा ने समझाया, "विशेषण संज्ञा और सर्वनाम को और भी खास बनाते हैं। जैसे अगर हम कहें 'पेड़ है', तो हमें नहीं पता चलेगा कि पेड़ कैसा है। लेकिन अगर हम कहें 'लंबा पेड़ है', तो हमें पता चलता है कि पेड़ की लंबाई अधिक है।"


राजा ने एक खेल शुरू किया। उसने एक वाक्य दिया, "लड़की स्कूल जाती है।" अब उसने बच्चों से पूछा, "अगर हम इस वाक्य में विशेषण और सर्वनाम जोड़ें, तो यह कैसे बनेगा?"

बच्चों ने सोचा और एक बच्ची ने कहा, "सुंदर लड़की स्कूल जाती है। वह बहुत मेहनती है।"

राजा ने हंसते हुए कहा, "बहुत अच्छा! यहाँ 'सुंदर' विशेषण है, जो लड़की की विशेषता बताता है। और 'वह' सर्वनाम है, जो 'लड़की' के लिए उपयोग हुआ है। इस प्रकार संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण मिलकर वाक्य को और भी अर्थपूर्ण और सुंदर बनाते हैं।

शब्दपुर के इस उत्सव में बच्चों ने बहुत कुछ सीखा। उन्होंने देखा कि कैसे संज्ञा किसी वस्तु, व्यक्ति या स्थान का नाम होती है, सर्वनाम उस संज्ञा की जगह लेता है, और विशेषण उस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। 

राजा ने सबको धन्यवाद दिया और कहा, "अब तुम सभी अपनी भाषा को और भी सुंदर और सटीक बनाने के लिए संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण का सही उपयोग करना सीख गए हो।"

बच्चों ने खुशी से इस बात को स्वीकार किया और अपने-अपने घर लौटकर संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण का अभ्यास करने लगे।

इस कहानी के माध्यम से बच्चों ने संज्ञा, सर्वनाम, और विशेषण के प्रकारों और उनके संबंध को समझा। उन्होंने सीखा कि कैसे ये तीनों मिलकर भाषा को पूर्ण और प्रभावी बनाते हैं। इस प्रकार की रोचक और शिक्षाप्रद कहानियाँ बच्चों को व्याकरण के कठिन विषयों को आसानी से समझने में मदद करती हैं।
विद्या विज्ञान की प्रस्तुति 

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