मनोहर की जादुई भाषा यात्रा**

**मनोहर की जादुई भाषा यात्रा**
: नवीन सिंह राणा 

एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम मनोहर था। मनोहर बहुत ही होशियार और जिज्ञासु था। उसे शब्दों से खेलना बहुत पसंद था, लेकिन कभी-कभी वह सही शब्दों का उपयोग नहीं कर पाता था। एक दिन, जब वह स्कूल से लौट रहा था, उसे एक बुजुर्ग आदमी मिला। वह आदमी बहुत समझदार लग रहा था और उसने मनोहर को एक अनोखा आमंत्रण दिया।

बूढ़े आदमी ने कहा, "मनोहर, क्या तुम मेरे साथ शब्दों के जादुई बगीचे में चलोगे? वहाँ तुम शब्दों के भेद, तुकांत शब्द, सार्थक और निरर्थक शब्दों को समझ सकोगे।" मनोहर खुशी-खुशी मान गया और वे दोनों जादुई बगीचे की ओर चल पड़े।

बगीचे में पहुँचते ही मनोहर ने देखा कि वहाँ कई तरह के शब्द के पेड़ थे। कुछ पेड़ों पर फल की तरह शब्द लटक रहे थे। बूढ़े आदमी ने कहा, "यहाँ देखो, ये सारे पेड़ अलग-अलग प्रकार के शब्दों के हैं। कुछ संज्ञा हैं, जैसे 'आम', 'पानी', 'गाय'। कुछ विशेषण हैं, जैसे 'मीठा', 'ठंडा', 'सुंदर'। और कुछ क्रियाएँ हैं, जैसे 'दौड़ना', 'खाना', 'गाना'।"

मनोहर ने एक पेड़ से एक शब्द तोड़ा और पूछा, "यह 'दौड़ना क्या है?" बूढ़े आदमी ने समझाया, यह क्रिया शब्द है, इससे हमे महसूस होता है कि कुछ न कुछ कार्य हो रहा है।

आगे बढ़ते हुए, मनोहर ने एक और पेड़ देखा जिस पर कुछ शब्द लटके थे जैसे 'बच्चा', 'कच्चा', 'पक्का'। उसने पूछा, "ये सभी शब्द एक जैसे क्यों दिखते हैं?" बूढ़े आदमी ने हंसते हुए कहा, "ये तुकांत शब्द हैं। वे शब्द जिनका अंत एक जैसा होता है, उन्हें तुकांत शब्द कहते हैं। जैसे 'बच्चा' और 'कच्चा'। कविता और गानों में तुकांत शब्दों का बहुत उपयोग होता है।"

मनोहर ने आगे चलकर देखा कि कुछ शब्द पेड़ों पर बहुत चमकदार थे, जैसे 'सूरज', 'चाँद', 'सितारे'। और कुछ शब्द फीके थे, जैसे 'पलाम', 'गमगम'। उसने बूढ़े आदमी से पूछा, "ये शब्द अलग क्यों दिख रहे हैं?"

बूढ़े आदमी ने समझाया, "चमकदार शब्द सार्थक शब्द हैं। इनका एक अर्थ होता है, जैसे 'सूरज' का मतलब हम सब जानते हैं। लेकिन फीके शब्द निरर्थक शब्द हैं। इनका कोई अर्थ नहीं होता, जैसे 'पलाम' और 'गमगम'।"

मनोहर को अब भाषा की शक्ति समझ में आने लगी थी। उसने बूढ़े आदमी से पूछा, "मैं कैसे जानूँ कि कौन सा शब्द सही है और कौन सा गलत?"

बूढ़े आदमी ने कहा, "तुम्हें बस ध्यान रखना है कि जब तुम बोलो, तो सोच-समझकर बोलो। सही शब्द का चयन और सही उच्चारण ही तुम्हें दूसरों के सामने प्रभावशाली बनाता है। गलत शब्द या गलत तुकांत बोलने से वाक्य का अर्थ बदल सकता है। उदाहरण के लिए, 'चल' और 'जल' में फर्क है। सही शब्द का उपयोग करने से तुम्हारी भाषा शुद्ध और प्रभावशाली बनेगी।"

मनोहर ने बहुत कुछ सीख लिया था। उसने बगीचे के सारे शब्दों को याद किया और सही शब्दों के प्रयोग का अभ्यास शुरू कर दिया। वह जान गया था कि सही भाषा का ज्ञान ही उसे एक अच्छा इंसान और प्रभावी वक्ता बना सकता है। 

उस दिन के बाद, मनोहर हमेशा शब्दों को ध्यान से चुनता और सही तरीके से बोलता था। वह जान गया था कि शब्दों का सही चयन और उनका सही प्रयोग ही उसे जीवन में सफल बना सकता है।

इस कहानी के माध्यम से बच्चों ने शब्दों के भेद, तुकांत शब्दों का महत्व, सार्थक और निरर्थक शब्दों का फर्क, और सही भाषा के महत्व को समझा। इस तरह की कहानियों के माध्यम से बच्चे भाषा की बारीकियों को आसानी से सीख सकते हैं और अपने संवाद कौशल को सुधार सकते हैं।

विद्या विज्ञान की प्रस्तुति 

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