यह कहानी पांच दोस्तों की है, जो अपनी-अपनी गयानेंद्रीयों (इंद्रियों) के बारे में सीखते हैं।

### कहानी: पाँच जादुई इंद्रियाँ

एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में पाँच दोस्त रहते थे। उनके नाम थे – आंखू, कानू, नाकू, रसू, और स्पर्शू। ये सभी दोस्त बहुत अच्छे थे और हमेशा साथ में खेलते थे। लेकिन एक दिन, गांव के बड़े बूढ़े ने उन्हें एक खास चुनौती दी।

बूढ़े बाबा ने कहा, "तुम्हें अपनी-अपनी इंद्रियों की ताकत पहचाननी होगी। जो सबसे पहले अपनी इंद्री की ताकत को समझेगा, वह जादुई उपहार पाएगा।"

#### आंखू की कहानी:
आंखू बहुत चंचल था और हमेशा इधर-उधर देखता रहता था। वह सोचने लगा, "मेरी इंद्री क्या है?" तभी उसने देखा कि सूरज की किरणें कितनी सुंदर हैं, फूल कितने रंग-बिरंगे हैं, और आसमान कितना नीला है। उसने समझा कि उसकी इंद्री दृष्टि है, जिससे वह यह सब देख सकता है।

#### कानू की कहानी:
कानू को हर समय कुछ न कुछ सुनाई देता रहता था। कभी पक्षियों का चहचहाना, तो कभी गांव में बजने वाली घंटियां। उसने सोचा, "मेरी इंद्री क्या है?" फिर उसने ध्यान दिया कि वह संगीत सुन सकता है, लोगों की बातें सुन सकता है। उसने समझा कि उसकी इंद्री श्रवण है, जिससे वह सब कुछ सुन सकता है।

#### नाकू की कहानी:
नाकू को हर समय कुछ न कुछ सूंघने का शौक था। कभी उसे फूलों की खुशबू आती, तो कभी खाना पकने की महक। वह सोचने लगा, "मेरी इंद्री क्या है?" एक दिन जब उसने अपनी माँ के हाथों से बने खाने की महक सूंघी, तो उसे समझ आया कि उसकी इंद्री गंध है।

#### रसू की कहानी:
रसू को मिठाई बहुत पसंद थी। वह हर समय कुछ न कुछ चखता रहता था। वह सोचने लगा, "मेरी इंद्री क्या है?" एक दिन उसने अपने पसंदीदा मिठाई का स्वाद चखा और उसे समझ आया कि उसकी इंद्री स्वाद है।

#### स्पर्शू की कहानी:
स्पर्शू को चीज़ों को छूने का बहुत शौक था। वह हर समय कुछ न कुछ छूता रहता था। कभी मुलायम रुई, तो कभी ठंडी हवा। उसने सोचा, "मेरी इंद्री क्या है?" जब उसने अपनी माँ का हाथ छूकर उनकी ममता महसूस की, तो उसे समझ आया कि उसकी इंद्री स्पर्श है।

### सबक:
पांचों दोस्तों ने अपनी-अपनी इंद्रियों की ताकत को समझ लिया। बूढ़े बाबा ने उन्हें समझाया, "ये पांचों इंद्रियाँ हमारे जीवन को जादुई बनाती हैं। जब हम अपनी इंद्रियों को समझते हैं, तो हम दुनिया को बेहतर तरीके से जान सकते हैं।"

इस प्रकार, पांचों दोस्तों ने अपनी-अपनी इंद्रियों की महत्ता को जाना और खुशी-खुशी अपनी इंद्रियों का सम्मान करने लगे।

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