भाषा का आविष्कार: एक रोचक बाल कहानी


भाषा का आविष्कार: एक रोचक बाल कहानी 
:नवीन सिंह राणा 

बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर और रंगीन जगह थी जिसे कहते थे **स्वरों का देश**। यहाँ पर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, और औ जैसे प्यारे-प्यारे स्वर रहते थे। ये स्वर बहुत खुशमिजाज और मिलनसार थे। हर रोज़ वे एक साथ खेलते, गाना गाते, और अपनी मधुर आवाज़ों से पूरे स्वरों के देश को गूंजाते थे।

**स्वरों का देश** बेहद सुंदर था। वहाँ फूलों से सजे पेड़ थे, जहाँ से संगीत की मधुर धुनें आती थीं। नदी का पानी भी गुनगुनाता था, और हवा में बहती मिठास स्वरमयी थी। स्वरों का जीवन आनंदमय था, पर उनमें हमेशा कुछ नया करने की चाहत थी।

एक दिन, अ और आ ने सोचा, "हम रोज़-रोज़ यही खेल खेलते हैं, क्यों न हम कुछ नया और रोमांचक करें?" आ ने कहा, "क्यों न हम व्यंजनों के देश जाएँ और देखें कि वहाँ कौन-कौन रहता है? शायद वहाँ हमें कुछ नया सीखने को मिले!"

सारे स्वर इस विचार से बहुत उत्साहित हो गए। उन्होंने तुरंत तय किया कि वे सभी व्यंजनों के देश की यात्रा पर जाएंगे। सभी स्वर एक साथ इकट्ठे हुए, और उन्होंने एक सुंदर कारवां बनाया। आ सबसे आगे चल रही थी, उसके पीछे अ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, और औ ने मिलकर यात्रा शुरू की।

उनकी यात्रा अद्भुत थी। रास्ते में उन्हें विभिन्न रंगों के बादल, चमकीली नदियाँ, और सुनहरे पहाड़ मिले। उन्होंने यात्रा के दौरान खूब मस्ती की और अपने सुंदर गीतों से पूरी धरती को गुंजा दिया। अंततः, वे **व्यंजनों के देश** पहुँचे।

व्यंजनों का देश भी अपने आप में अद्वितीय था। वहाँ के पेड़-पौधे अद्भुत आकार के थे, और हर एक चीज़ में एक खास लय थी। जैसे ही स्वर वहाँ पहुँचे, उन्हें क, ख, ग, घ, ङ जैसे व्यंजन मिले। ये व्यंजन भी बहुत खुश थे और उन्होंने स्वरों का दिल खोलकर स्वागत किया।

क ने कहा, "स्वरों, आप सबका हमारे देश में स्वागत है। हमें आपकी आवाज़ें बहुत पसंद हैं।" ख ने मुस्कराते हुए कहा, "हमें आपसे मिलकर खुशी हो रही है। क्यों न हम एक साथ मिलकर कुछ नया और मज़ेदार करें?"

स्वरों ने एक-दूसरे की ओर देखा और सब मुस्कुराए। अ ने कहा, "यह तो बहुत ही अच्छा विचार है! हम सब मिलकर ऐसे शब्द बना सकते हैं जो हमारी भाषा को और भी सुंदर बना देंगे।"

फिर क्या था, सबने मिलकर काम करना शुरू किया। अ और क ने मिलकर "अक" शब्द बनाया, जो देखने में छोटा था पर सुनने में बड़ा ही प्यारा लगता था। आ और ख ने मिलकर "आख" शब्द बनाया, जो बहुत ही ताकतवर था। इ और ग ने मिलकर "इग" शब्द बनाया, जो शरारती और चंचल था।

दिन बीतते गए, और स्वर और व्यंजन मिलकर नई-नई रचनाएँ करते रहे। उन्होंने मिलकर भाषा का एक नया संसार बना दिया। यह संसार सुंदर, अर्थपूर्ण और जीवंत था। अब स्वरों और व्यंजनों के देश के बीच गहरी दोस्ती हो गई थी। वे हमेशा एक साथ मिलकर नई-नई चीज़ें बनाते और खेलते थे।

धीरे-धीरे, उनकी इस दोस्ती ने पूरे संसार में एक नई भाषा की नींव रखी। बच्चे, बड़े, बूढ़े - सब इस नई भाषा को सीखने लगे। सबने महसूस किया कि जब भी वे स्वर और व्यंजन के रूप में मिलकर काम करते हैं, तो वे बड़ी और अद्भुत चीज़ें बना सकते हैं।

और इस तरह, स्वर और व्यंजन हमेशा के लिए दोस्त बन गए, और उनकी दोस्ती से जन्मी भाषा संसार की सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण धरोहर बन गई।

**इस कहानी से हम सीखते हैं** कि जब हम मिलकर काम करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं, तो हम बड़ी और अद्भुत चीजें बना सकते हैं। यही सच्ची दोस्ती और सहयोग की ताकत होती है!

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