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बाल कहानी : "चिंटू-मिंटू खरगोश और कॉलोनी का सबक"🖋️ नवीन सिंह राणा

बाल कहानी : "चिंटू-मिंटू खरगोश और कॉलोनी का सबक" 🖋️ नवीन सिंह राणा बहुत दूर एक घने और हरे-भरे जंगल में, एक सुंदर सी खरगोश कॉलोनी थी। वहाँ छोटे-बड़े खरगोश अपनी-अपनी प्यारी-प्यारी बिलों में रहते थे। बिलों की बनावट इतनी सुंदर और अनोखी थी कि हर कोई अपने घर पर गर्व करता। कुछ खरगोशों ने अपने घरों के ऊपर घास की छतें बनाई थीं तो किसी ने फूलों की क्यारियों से सजावट की थी। सूरज की किरणें जब पेड़ों से छनकर उन बिलों पर पड़तीं, तो पूरी कॉलोनी सुनहरी चमक से भर जाती। इस कॉलोनी में दो खास दोस्त रहते थे — चिंटू और मिंटू। वे  एक-दूसरे के बिना अधूरे लगते थे। सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर टहलना, दूर तक फैले गाजर के खेतों में कूदना, और शाम को बैठकर सितारों के नीचे बातों में खो जाना, यही उनकी दिनचर्या थी। गाजर – हाँ, वही लाल-लाल रसीली गाजरें – इन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी थीं। चिंटू जब कोई नई गाजर खोज लाता, तो मिंटू को बुलाकर आधी बाँट लेता। मिंटू भी अपने खेत की सबसे मीठी गाजर चिंटू के लिए सहेजकर रखता। सिर्फ गाजर ही नहीं, वे एक-दूसरे की खुशियों और परेशानियों के भी साथी थे। एक दिन जंगल में कोय...

थारू भाषा समर कैंप 2025 :थारू भाषा-संस्कृति संवर्धन की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल

थारू भाषा-संस्कृति संवर्धन की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल — राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खटीमा में आयोजित भाषा समर कैंप के चतुर्थ दिवस की अनूठी झलक सांस्कृतिक जागरूकता और भाषाई विविधता के संरक्षण हेतु राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय खटीमा में चल रहे सात दिवसीय भाषा समर कैंप का चतुर्थ दिवस थारू भाषा और संस्कृति के संवर्धन को समर्पित रहा। यह दिन न केवल बच्चों के लिए एक आनंददायी अनुभव था, बल्कि यह थारू अस्मिता की गूंज बनकर सामने आया। कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों को आनंदम ध्यान केंद्रित करने वाली गतिविधियों से हुई, जिसमें उन्होंने एकाग्रता, भाव और तालमेल को सहजता से सीखा। इसके बाद जब बच्चों ने   थारू बोली में अपने अनुभव और कहानियाँ साझा कीं, तो लगा मानो भाषा फिर से साँस लेने लगी हो, और मिट्टी की वह सौंधी खुशबू कक्षा-कक्ष में फैल गई जिसे अक्सर हम आधुनिकता की दौड़ में खो बैठते हैं। इसके बाद थारू भोजन पर चर्चा हुई—बच्चों ने थारू बोली में पारंपरिक व्यंजनों की विधियाँ जानी और थारू बोली के शब्दों से पकते पकते स्वाद की एक अद्भुत थाली बन गई। इसके बाद रंग, ताल और सुरों का संगम देखने को मिला ज...