संदेश

जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाल कहानी : "चिंटू-मिंटू खरगोश और कॉलोनी का सबक"🖋️ नवीन सिंह राणा

बाल कहानी : "चिंटू-मिंटू खरगोश और कॉलोनी का सबक" 🖋️ नवीन सिंह राणा बहुत दूर एक घने और हरे-भरे जंगल में, एक सुंदर सी खरगोश कॉलोनी थी। वहाँ छोटे-बड़े खरगोश अपनी-अपनी प्यारी-प्यारी बिलों में रहते थे। बिलों की बनावट इतनी सुंदर और अनोखी थी कि हर कोई अपने घर पर गर्व करता। कुछ खरगोशों ने अपने घरों के ऊपर घास की छतें बनाई थीं तो किसी ने फूलों की क्यारियों से सजावट की थी। सूरज की किरणें जब पेड़ों से छनकर उन बिलों पर पड़तीं, तो पूरी कॉलोनी सुनहरी चमक से भर जाती। इस कॉलोनी में दो खास दोस्त रहते थे — चिंटू और मिंटू। वे  एक-दूसरे के बिना अधूरे लगते थे। सुबह-सुबह ओस में भीगी घास पर टहलना, दूर तक फैले गाजर के खेतों में कूदना, और शाम को बैठकर सितारों के नीचे बातों में खो जाना, यही उनकी दिनचर्या थी। गाजर – हाँ, वही लाल-लाल रसीली गाजरें – इन दोनों की सबसे बड़ी कमजोरी थीं। चिंटू जब कोई नई गाजर खोज लाता, तो मिंटू को बुलाकर आधी बाँट लेता। मिंटू भी अपने खेत की सबसे मीठी गाजर चिंटू के लिए सहेजकर रखता। सिर्फ गाजर ही नहीं, वे एक-दूसरे की खुशियों और परेशानियों के भी साथी थे। एक दिन जंगल में कोय...