कक्षा कक्ष में कविता शिक्षण और संचालन
कक्षा कक्ष में कविता शिक्षण और संचालन
✍️ विद्या विज्ञान
कक्षा कक्ष में कविता शिक्षण बच्चों के भाषा कौशल को निखारने और उनके भावनात्मक, सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके शिक्षण के लिए कुछ प्रभावी तरीके निम्नलिखित हैं:
शिक्षण के तरीके:
1. पाठ्यपुस्तक से पढ़ना और समझाना: कविता को जोर से पढ़ें और हर पंक्ति का अर्थ बच्चों को सरल भाषा में समझाएं।
2. भावानुसार प्रस्तुति: कविता को सही भाव और ध्वनि के साथ प्रस्तुत करें, जिससे बच्चे उसकी भावना से जुड़ सकें।
3. चित्रों के माध्यम से समझाना: अगर कविता में किसी दृश्य या भाव का वर्णन हो रहा है, तो चित्रों का उपयोग करके उसे स्पष्ट करें।
4. नाटक या संवाद: कविता के पात्रों को जीवंत बनाने के लिए बच्चों को छोटी-छोटी भूमिकाएं दें, जिससे वे कविता के भाव से बेहतर तरीके से जुड़ें।
5. गायन: कुछ कविताओं को गा कर पढ़ाना बच्चों को लय और ताल के साथ जोड़ता है, जिससे वे उसे आसानी से याद कर सकते हैं।
6. छोटे समूहों में चर्चा: बच्चों को कविता के विभिन्न अंशों पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करें, जिससे वे कविता की गहराई को समझ सकें।
7. रचनात्मक गतिविधियां: कविता से संबंधित चित्र बनवाना या कहानी गढ़वाना, ताकि बच्चों की कल्पना शक्ति विकसित हो।
ध्यान देने योग्य बातें:
1. कविता की भाषा: कविता की भाषा का स्तर बच्चों की समझ के अनुसार होना चाहिए।
2. भावों की समझ: कविता के भावों को गहराई से समझाना महत्वपूर्ण है, ताकि बच्चे कविता का सही अर्थ और संदेश ग्रहण कर सकें।
3. लय और ताल: कविता की लय और ताल बच्चों के लिए रोचक होनी चाहिए, जिससे वे उसे आसानी से याद रख सकें।
4. बच्चों की भागीदारी: शिक्षण को संवादात्मक बनाएं, ताकि बच्चे सक्रिय रूप से हिस्सा लें।
5. समय का सही उपयोग: कविता को पर्याप्त समय दें ताकि बच्चे उसे न केवल याद कर सकें, बल्कि समझ भी सकें।
महत्व:
1. भाषा विकास: कविता बच्चों के शब्दावली और भाषा की समझ को बढ़ाती है।
2. भावनात्मक विकास: कविता के माध्यम से बच्चे विभिन्न भावनाओं को अनुभव करते हैं, जिससे उनका भावनात्मक संतुलन और समझ बढ़ती है।
3. सांस्कृतिक समझ: कविता बच्चों को उनके सांस्कृतिक और सामाजिक परिवेश से जोड़ने में मदद करती है।
4. सृजनात्मकता: कविता बच्चों की कल्पनाशक्ति को प्रोत्साहित करती है, जिससे वे अपने विचारों को रचनात्मक तरीके से व्यक्त करना सीखते हैं।
5. सुनने और बोलने का कौशल: कविता शिक्षण बच्चों के सुनने और बोलने के कौशल को भी सुदृढ़ करता है, जिससे वे भाषा के प्रति अधिक संवेदनशील बनते हैं।
इस प्रकार कविता शिक्षण के सही तरीकों और उसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, शिक्षक बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
आगे हम कक्षा में कविता शिक्षण के प्रभावी तरीकों को विस्तार से समझाने के लिए, प्रत्येक तकनीक का उदाहरण देकर समझने का प्रयास करते हैं ताकि शिक्षकों को ये स्पष्ट रूप से समझ में आ सके और वे इसे अपने शिक्षण में लागू कर सकें:
1. पाठ्यपुस्तक से पढ़ना और समझाना:
तरीका: कविता को सबसे पहले एक बार सही लय और भाव के साथ पढ़ें। इसके बाद प्रत्येक पंक्ति को सरल भाषा में बच्चों को समझाएं।
उदाहरण: मान लें कि आप सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता "झांसी की रानी" पढ़ा रहे हैं। पहले पूरी कविता को जोर से पढ़ें, फिर उदाहरण स्वरूप, "बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी" इस पंक्ति का मतलब समझाएं कि बुंदेलखंड के लोग रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानियां सुनाते थे। इस तरह हर पंक्ति का सरल भाषा में विश्लेषण करें।
2. भावानुसार प्रस्तुति:
तरीका: कविता को उस भावना के साथ पढ़ें, जिसे कवि ने व्यक्त किया है। ध्वनि, गति, और उच्चारण पर ध्यान दें।
उदाहरण: अगर आप बाल कविता "मछली जल की रानी है" पढ़ा रहे हैं, तो इसे हल्के और खुशमिजाज स्वर में प्रस्तुत करें ताकि बच्चे उस आनंदमय भावना को समझ सकें जो कवि व्यक्त करना चाहता है। कविता पढ़ते समय लय और ताल में हर्षित भाव भी प्रकट करें।
3. चित्रों के माध्यम से समझाना:
तरीका: यदि कविता में किसी दृश्य का वर्णन किया गया है, तो उस दृश्य से संबंधित चित्रों का उपयोग करके बच्चों को कविता की गहराई से जोड़ें।
उदाहरण: "कोयल बोले कुहू-कुहू" कविता में आप कोयल और उसके वातावरण से जुड़े चित्र दिखा सकते हैं। बच्चे कविता में बताए गए पात्रों और प्रकृति को देखकर आसानी से समझ सकेंगे कि कविता किस बारे में है।
4. नाटक या संवाद:
तरीका: कविता में पात्रों को जीवंत बनाने के लिए बच्चों को भूमिकाएं दें और कविता को अभिनय के रूप में प्रस्तुत कराएं।
उदाहरण: माखनलाल चतुर्वेदी की कविता "पुष्प की अभिलाषा" में पुष्प और हवा, मिट्टी आदि की भूमिकाएं बच्चों को दें। इससे बच्चे न केवल कविता को बेहतर समझेंगे, बल्कि इसे महसूस भी करेंगे।
5. गायन:
तरीका: कई कविताओं को गा कर पढ़ाया जा सकता है, जिससे बच्चे कविता की लय, ताल, और ध्वनि का आनंद लें।
उदाहरण: "सरसों का खेत" जैसी कविता को गाने के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। आप बच्चों को प्रेरित कर सकते हैं कि वे अपनी लय में कविता गायें। इससे कविता को याद करना भी आसान हो जाता है और बच्चे इसे खेल-खेल में सीख जाते हैं।
6. छोटे समूहों में चर्चा:
तरीका: बच्चों को छोटे समूहों में विभाजित करें और कविता के विभिन्न हिस्सों पर चर्चा करने के लिए कहें। इससे वे अपनी समझ को साझा करेंगे और एक-दूसरे से सीखेंगे।
उदाहरण: "हम पंछी उन्मुक्त गगन के" कविता को पढ़ने के बाद बच्चों को समूहों में विभाजित करें और प्रत्येक समूह से कविता के किसी हिस्से पर उनके विचार जानें। जैसे एक समूह से पूछें कि "उन्मुक्त गगन" का क्या मतलब हो सकता है? दूसरे समूह से पूछें कि कविता में पंछी की स्वतंत्रता को कैसे व्यक्त किया गया है।
7. रचनात्मक गतिविधियां:
तरीका: कविता से संबंधित चित्र बनवाना, या कविता से प्रेरित होकर बच्चों से कहानी लिखवाना। यह उनकी सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है।
उदाहरण: "आओ बच्चो तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की" कविता पढ़ाने के बाद, बच्चों से कहें कि वे उस झांकी का चित्र बनाएं जैसा उन्होंने कविता में कल्पना किया है। इससे बच्चे कविता को और गहराई से समझेंगे और अपनी कल्पनाशक्ति का प्रयोग करेंगे।
8. वास्तविक जीवन से जोड़ना:
तरीका: बच्चों को कविता में वर्णित विषयों को उनके वास्तविक जीवन से जोड़ने के लिए प्रेरित करें। इससे वे कविता के भावों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे।
उदाहरण: अगर आप "नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए" कविता पढ़ा रहे हैं, तो बच्चों से पूछें कि उन्होंने कब किसी पक्षी या जानवर को देखा था, और उनके साथ क्या अनुभव जुड़ा था। इससे वे कविता के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करेंगे।
इन तरीकों के माध्यम से आप कविता शिक्षण को न केवल रोचक और आकर्षक बना सकते हैं, बल्कि बच्चों की भाषा, भावनात्मक और सृजनात्मक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
ध्यान देने योग्य बातें:
कविता शिक्षण में ध्यान देने योग्य बातें महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे इस प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सफल बनाती हैं। यहां अति विस्तार से प्रत्येक बात का उदाहरण सहित विवरण दिया गया है:
1. कविता की भाषा सरल और समझने योग्य हो:
महत्व: बच्चों के स्तर के अनुसार भाषा का चयन करना जरूरी है। यदि कविता की भाषा बहुत जटिल होगी, तो बच्चे उसका सही अर्थ नहीं समझ पाएंगे, जिससे वे कविता से जुड़ाव महसूस नहीं करेंगे।
उदाहरण: कक्षा 2 के बच्चों को पढ़ाते समय अगर आप प्रेमचंद या जयशंकर प्रसाद जैसे कवियों की जटिल कविताएं पढ़ाएंगे, तो बच्चे उसे समझने में असमर्थ रहेंगे। इसके बजाय, "आओ मिलकर गाएं" जैसी सरल कविताएं बच्चों के स्तर पर उचित होंगी, जिससे वे आसानी से समझ सकें और आनंद उठा सकें।
2. कविता के भावों की गहरी समझ:
महत्व: कविता में केवल शब्दों का मतलब ही नहीं होता, बल्कि उसके पीछे छिपे भाव भी होते हैं। बच्चों को कविता के भावों से जोड़ने के लिए उन्हें इसका सही अर्थ समझाना जरूरी है।
उदाहरण: अगर आप "झांसी की रानी" कविता पढ़ा रहे हैं, तो केवल रानी लक्ष्मीबाई के युद्ध कौशल का वर्णन करना काफी नहीं है। आपको बच्चों को यह भी समझाना होगा कि यह कविता उनके साहस और स्वतंत्रता के प्रति समर्पण को व्यक्त करती है। इससे बच्चे केवल तथ्य नहीं सीखेंगे, बल्कि उस भाव को भी महसूस करेंगे जो कवि ने व्यक्त किया है।
3. लय और ताल का महत्व:
महत्व: कविता की लय और ताल उसे दिलचस्प बनाते हैं। बच्चों के लिए लयबद्ध कविता ज्यादा आकर्षक और यादगार होती है।
उदाहरण: "मछली जल की रानी है" जैसी कविता की लय बहुत सरल है, और बच्चे इसे आसानी से पकड़ सकते हैं। अगर आप इसे बिना लय के पढ़ाएंगे, तो बच्चों को कविता रुचिकर नहीं लगेगी। लयबद्ध तरीके से पढ़ने से बच्चे कविता को दोहराना और याद करना पसंद करेंगे।
4. उच्चारण की शुद्धता:
महत्व: कविता में सही उच्चारण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि गलत उच्चारण से कविता का अर्थ बदल सकता है, और बच्चों को गलत तरीके से सीखने का डर रहता है।
उदाहरण: अगर आप "कोयल बोले कुहू-कुहू" कविता में 'कुहू' शब्द का उच्चारण गलत करेंगे, तो बच्चे भी इसे गलत सीखेंगे। सही उच्चारण के साथ कविता पढ़ाना चाहिए ताकि बच्चे सही भाषा और उच्चारण को आत्मसात कर सकें।
5. कविता के वातावरण का सृजन:
महत्व: बच्चों को कविता से भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए उस कविता के वातावरण का सृजन करना चाहिए। इससे बच्चे कविता को बेहतर तरीके से अनुभव करते हैं।
उदाहरण: यदि आप "बारिश आई छम छम" कविता पढ़ा रहे हैं, तो आप कक्षा में बारिश की ध्वनि, या पानी गिरने का नाटक कर सकते हैं। इससे बच्चों को कविता का वास्तविक अनुभव होगा, और वे उसे अधिक आनंद के साथ समझ पाएंगे।
6. छोटे-छोटे हिस्सों में समझाना:
महत्व: कविताएं अक्सर छोटे बच्चों के लिए थोड़ी जटिल हो सकती हैं, इसलिए उन्हें छोटे-छोटे अंशों में तोड़कर समझाना चाहिए। इससे बच्चे हर पंक्ति का अर्थ अच्छी तरह से समझ पाएंगे।
उदाहरण: अगर आप "हम पंछी उन्मुक्त गगन के" कविता पढ़ा रहे हैं, तो पहले "हम पंछी उन्मुक्त गगन के" का अर्थ समझाएं। इसके बाद, "पिंजरबद्ध न गा पाएंगे" को विस्तार से समझाएं। इस तरह, बच्चे प्रत्येक पंक्ति का अलग-अलग मतलब समझेंगे और अंत में पूरी कविता को आसानी से समझ सकेंगे।
7. बच्चों की भागीदारी:
महत्व: कविता शिक्षण को एकतरफा न रखें। बच्चों की भागीदारी से कविता को अधिक रोचक और संवादात्मक बनाया जा सकता है।
उदाहरण: यदि आप "बच्चों तुम हो सच्चे राही" कविता पढ़ा रहे हैं, तो प्रत्येक पंक्ति के बाद बच्चों से पूछें कि वे इस पंक्ति से क्या समझते हैं। बच्चों को प्रेरित करें कि वे कविता को अपने शब्दों में समझाएं या कविता में वर्णित कार्यों को दोहराने का नाटक करें। इससे बच्चे अधिक सक्रिय रूप से सीखेंगे।
8. कविता से संबंधित सवाल पूछना:
महत्व: बच्चों की समझ को जांचने और उनकी सोचने की क्षमता को बढ़ाने के लिए उनसे कविता से संबंधित सवाल पूछना चाहिए।
उदाहरण: "पुष्प की अभिलाषा" कविता पढ़ाने के बाद, आप बच्चों से पूछ सकते हैं, "पुष्प ने अपने जीवन के लिए क्या चाहा?" इससे बच्चे कविता के भाव को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे और उसे अपने शब्दों में व्यक्त करेंगे।
9. प्राकृतिक और सामाजिक संदर्भों से जोड़ना:
महत्व: कविता में वर्णित विचारों को बच्चों के दैनिक जीवन से जोड़ने से वे कविता से व्यक्तिगत रूप से जुड़ाव महसूस करते हैं।
उदाहरण: यदि आप "पेडों का महत्व" पर कोई कविता पढ़ा रहे हैं, तो बच्चों को कक्षा के बाहर ले जाएं और उन्हें पेड़ों के महत्व के बारे में व्यावहारिक जानकारी दें। जब वे कविता में पढ़ेंगे कि पेड़ कैसे जीवन देते हैं, तो उनके अनुभव और कविता के बीच संबंध बन जाएगा।
10. हर बच्चे की समझ का आकलन करना:
महत्व: हर बच्चा एक जैसी गति से नहीं सीखता। कुछ बच्चे कविता को जल्दी समझ लेते हैं, जबकि कुछ को अधिक समय लगता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी बच्चे कविता के भाव और अर्थ को समझें।
उदाहरण: कविता पढ़ाने के बाद, आप कुछ बच्चों से उनके शब्दों में कविता का अर्थ पूछ सकते हैं। जिन बच्चों को समझने में कठिनाई हो रही है, उनके साथ व्यक्तिगत रूप से कविता को और सरल तरीके से समझाएं।
11. कविता का सारांश तैयार कराना:
महत्व: कविता का सारांश तैयार कराना बच्चों को यह सिखाता है कि वे कविता को अपने शब्दों में व्यक्त कर सकें। इससे उनकी समझ और अभिव्यक्ति क्षमता का विकास होता है।
उदाहरण: "चंदा मामा दूर के" कविता पढ़ाने के बाद बच्चों से पूछें कि कविता में किस तरह चंदा मामा का वर्णन किया गया है। इससे वे अपनी भाषा और विचारों में कविता का सार बता पाएंगे।
इन सभी बातों का ध्यान रखकर, कविता शिक्षण को अधिक रोचक, संवादात्मक और प्रभावी बनाया जा सकता है। इससे बच्चों की भाषा, भावनात्मक और सृजनात्मक क्षमताओं का सर्वांगीण विकास होता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें